- माँ =👇
दोस्तों हमने माँ पर लिखी गयी कुछ बेहतरीन कविताओं का संग्रह किया है. वैसे तो माँ पर की कोई व्याख्या नहीं की जा सकती है क्योंकी दुनिया की किसी भी कलम में इतनी ताकत नहीं है की वह माँ को परिभाषित कर दे. माँ पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार की वो मूर्त है जिसका कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता है. एक माँ ही जो सबका ख्याल रखती है.
- एक माँ ही जिसके बुलाने पर भगवान भी आ जाते है
- माँ को बेटी की पुकार कविता
पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां
आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा.
खामोशी मेरी जुबान को सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भर दिया.
अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा.
वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी.
ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था.
पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था.
लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है.
चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए.
जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी.
जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी.
अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को.
खुश होगी माँ एक दिन तू भी,जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे.
जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी.
जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी.
अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को.
खुश होगी माँ एक दिन तू भी,जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे.
- Short Hindi Poem on Maa
मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है.
जिसे हर एक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है.
जुबा से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं माँ हूं
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है.
सुला कर सोती थी जिसको वह अब सभर जगाता है.
सुनाई लोरिया जिसको, वो अब ताने सुनाता है.
सिखाने में क्या कमी रही मैं यह सोचूं,
जिसे गिनती सिखाई गलतियां मेरी गिनाता है.
Surendra Pal
- माँ का त्याग हिंदी कविता
तुम एक गहरी छाव है अगर तो जिंदगी धूप है माँ
धरा पर कब कहां तुझसा कोई स्वरूप है माँ
अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कहां किसने
धरा पर तो तू ही ईश्वर का रूप है माँ, ईश्वर का कोई रुप है माँ
नई ऊंचाई सच्ची है नए आधार सच्चा है
कोई चीज ना है सच्ची ना यह संसार सच्चा है
मगर धरती से अंबर तक युगो से लोग कहते हैं
अगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है
जरा सी देर होने पर सब से पूछती माँ,
पलक झपके बिना घर का दरवाजा ताकती माँ
हर एक आहट पर उसका चौक पड़ना, फिर दुआ देना
मेरे घर लौट आने तक, बराबर जागती है माँ
सुलाने के लिए मुझको, तो खुद ही जागती रही माँ
सहराने देर तक अक्सर, मेरे बैठी रही माँ
मेरे सपनों में परिया फूल तितली भी तभी तक थे.
मुझे आंचल में लेकर अपने लेटी रही माँ.
बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी माँ
कमी थी बड़ी पर खुशियाँ जुटाना जानती थी माँ.
मै खुशहाली में भी रिश्तो में दुरी बना पाया.
गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ.
4) माँ की ममता कविता
कि लगा बचपन में यू अक्सर अँधेरा ही मुकद्दर है.
मगर माँ होसला देकर यू बोली तुम को क्या डर है,
मै अपना पन ही अक्सर ढूंढता रहता हू रिश्तो में
तेरी निश्छल सी ममता कहीं मिलती नहीं माँ.
गमों की भीड़ में जिसने हमें हंसना सिखाया था
वह जिसके दम से तूफानों ने अपना सिर झुकाया था
किसी भी जुल्म के आगे, कभी झुकना नहीं बेटे
सितम की उम्र छोटी है मुझे माँ ने सिखाया था
भरे घर में तेरी आहट कहीं मिलती नहीं माँ
तेरी हाथों की नर्माहट कहीं मिलती नहीं माँ
मैं तन पर ला दे फिरता दुसाले रेशमी
लेकिन तेरी गोदी की गर्माहट कहीं मिलती नहीं माँ
तैरती निश्छल सी बातें अब नहीं है माँ
मुझे आशीष देने को अब तेरी बाहें नहीं है माँ
मुझे ऊंचाइयों पर सारी दुनिया देखती है
पर तरक्की देखने को तेरी आंखें नहीं है बस अब माँ
-Dinesh Raghuvanshi
(5) माँ की परिभाषा कविता
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही माँ की परिभाषा है.
हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर
हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है
हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है.
हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है.
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है.
बस यही माँ की परिभाषा है.
–Surendra gadariya tikamgarh MP
(6) प्यारी माँ कविता
प्यारी जग से न्यारी माँ,
खुशियां देती सारी माँ।
चलना हमें सिखाती माँ,
मंजिल हमें दिखाती माँ।
सबसे मीठा बोल है माँ,
दुनिया में अनमोल है माँ।
खाना हमें खिलाती है माँ,
लोरी गाकर सुलाती है माँ।
प्यारी जग से न्यारी माँ,
खुशियां देती सारी माँ।
(7) माँ की सहनशीलता कविता
बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने.
उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
जब भी गिरे तो संभाला है माँ ने.
चारों तरफ से हमको थे घेरे,
जालिम बड़े थे मन के अंधेरे.
बैठे हुए थे सब मुंह फेरे,
एक माँ ही थी दीपक मेरे जीवन में.
अंधकार में डूबे हुए थे हम,
किया ऐसे में उजाला है माँ ने.
मिलेगा ना दुनिया में माँ सा कोई,
मेरी आंखें बड़ी तो वो साथ रोई.
बिना उसकी लोरी के न आती थी निंदिया,
जादू सा कर डाला है माँ ने.
बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने.
(8) माँ का प्यार कविता
Happy Mothers Day
ओ मेरी प्यारी माँ,
सारे जग से न्यारी माँ.
मेरी माँ प्यारी माँ,
सुन लो मेरी वाणी माँ.
तुमने मुझको जन्म दिया,
मुझ पर इतना उपकार किया.
धन्य हुई मैं मेरी माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.
अच्छे बुरे में फर्क बताया,
तुमने अपना कर्तव्य निभाया.
अच्छी बेटी बनूंगी माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.
करूंगी तेरा मैं गुणगान,
करूंगी तेरा मैं सम्मान.
शब्द भी पड़ गए थोड़े तेरे गुणगान के लिए माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.
(9) माँ की व्याख्या कविता
गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,
सितारों ने गगन से माँ के लिए सलाम भेजा है.
संवेदना है, भावना है, एहसास है माँ,
जीवन के फूलों में खुशबू का आभास है माँ.
पूजा की थाली है माँ मंत्रों का जाप है माँ,
माँ मरुस्थल में बहता मीठा सा झरना है.
माँ त्याग है तपस्या है सेवा है माँ,
जिंदगी की कड़वाहट है अमृत का प्याला है माँ.
पृथ्वी है जगत है धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है.
माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता.
और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता.
(10) तू धरती पर ख़ुदा है माँ कविता
तू धरती पर ख़ुदा है माँ,
पंछी को छाया देती पेड़ों की डाली है तू माँ.
सूरज से रोशन होते चेहरे की लाली है तू,
पौधों को जीवन देती है मिट्टी की क्यारी है तू.
सबसे अलग सबसे जुदा,
माँ सबसे न्यारी है तू.
तू रोशनी का खुदा है माँ,
बंजर धरा पर बारिश की बौछार है तू माँ.
जीवन के सूने उपवन में कलियों की बहार है तू,
ईश्वर का सबसे प्यारा और सुंदर अवतार है तू माँ.
तू फरिश्तों की दुआ है माँ,
तू धरती पर ख़ुदा है माँ.
(11) माँ का आंचल
माँ की ममता करुणा न्यारी,
जैसे दया की चादर.
शक्ति देती नित हम सबको,
बन अमृत की गागर.
साया बनकर साथ निभाती,
चोट न लगने देती.
पीड़ा अपने ऊपर ले लेती,
सदा सदा सुख देती.
माँ का आंचल सब खुशियों की रंगारंग फुलवारी,
इसके चरणों में जन्नत है आनंद की किलकारी.
अद्भुत माँ का रूप सलोना बिल्कुल रब के जैसा,
प्रेम की सागर से लहराता इसका अपनापन ऐसा.
(12) माँ की भावना
मैंने माँ को है जाना, जब से दुनिया है देखी
प्यार माँ का पहचाना, जब से उंगली है थामी.
त्याग की भावना जो है माँ के भीतर,
प्यार उससे भी गहरा जितना गहरा समंदर.
अटल विश्वास माँ का, माँ की ममता डोरी
माँ के आंचल की छांव, माँ की मुस्कान प्यारी.
माँ ही है इस जहां में जो सबसे न्यारी,
सीचती है जो हमारे जीवन की क्यारी.
माँ की आंखों में देखें सपने हजार हमारे वास्ते,
मंजिलें बनाई ने अपनी न माँ ने चूने अपने रास्ते.
डगमगाए कदम जो तो है थाम लेती,
गर हो जाऊं उदास तो माँ प्यार देती.
मेरे लिए वह करती अपनी खुशियां कुर्बान,
गम के सैलाब में भी बिखेरती है मुस्कान.
वो सिमटी थी घर तक रखती थी सब का मान,
हर कमी को पूरा करने में जिसने लगा रखी है जान.
वजूद माँ का और माँ की पहचान,
रखना माँ के लिए सदा ह्रदय में सम्मान.
(13) बहुत याद आती है माँ
बहुत याद आती है माँ,
मैं हूं कौन बताया था माँ ने.
मुझे पहला कलमा पढ़ाया था माँ ने.
वो यह चाहती थी कि मै सिख जाऊ.
वो हाथो से खिलाती थी मुझ को,
कभी लोरिया भी सुनाती थी मुझ को.
वह नन्हे से पैर चलाती थी मुझको,
कभी दूर जाकर बुलाती थी मुझको.
मेरा लड़खड़ाकर पहलू में गिरना,
उठाकर गले से लगाती थी मुझको.
कि चलना सिखाती है माँ,
बहुत याद आती है माँ.
भाई मेरा नाम सुरेन्द्र पाल है मेने इस वेबसाइट को अपने समाज के लिए बनाया था पर कुछ दिनों से मुझे समय नहीं मिल पा रहा था जिसकी बजह से मेने इस वेबसाइट पर कोई पोस्ट नहीं लिखी पर में आप लोगों को अपना Whatsapp नंबर दे रहा हु यदि आप में से कोई अपने समाज के बारे में लिखता है तो मुझे Contact करे में ये वेबसाइट उसको दे दूँगा भाई में एक Devloper हुँ में App बनाता हु मेरा एक चैनल भी है जिस पर में App और Website बनाना सिखाता हूँ यदि आप लोग सीखना चाहते है तो सबसे पहले मेरे Whatsapp गुरुप में जुड़ जाये जिससे यदि आप को कोई प्रॉब्लम आती है तो आपकी हेल्प कर पाउँगा ये गुरुप की सुविधा सिर्फ में अपने समाज के लोगों को दे रहा हूँ और लाइव सपोर्ट भी बो भी फ्री दोस्तों आप भी मेरी मदद कर सकते हो मेरे YouTube चैनल को Subscribe करके हमारे चैनल को आगे बढ़ा सकते हो जिससे मेरे चैनल की Monetization चालू हो सकती है में कुछ पैसे कमा सकता हूँ यदि आप ये थोड़ा सा काम कर देते हो तो इसलिए आपके छोटे भाई की आपसे बिनती है की मेरे चैनल को Subuscribe कर लो और हा यदि आप कोई और जानकारी चाहते है कि YouTube से पैसे कैसे कमाते है तो हमें Instagram पर पूछ सकते है |
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