धनगर समाज के वोट और राजनीती गैर समाज की कब तक
उत्तर प्रदेश में धनगर(गडरिया) समाज की 4.43-4.50 % जनसंख्या के करीब है जो की करीब उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से देवरिया, सहारनपुर से झाँसी तक हर जिले में फैले है | लगभग उत्तर प्रदेश के हर जिले में धनगर (गडरिया) समाज है , कानपूर व आगरा मंडल में 40-60 % तक अकेला धनगर समाज है | मेरठ मंडल में विभिन विधिं क्षेत्र में धनगर समाज की कहीं 10% तो कहीं 20 % तो कहीं 40% जन्शंखाया है इलाहाबाद मंडल में भी मेरठ मंडल की तरह जनसंख्या है | झाँसी मण्डल में गडरिया समाज की अची खासी संख्या है . एक गौर किया जाये तो उत्तर प्रदेश में पश्चिम , दक्षिण , मध्य व उत्तर जिलो में काफी जन्ख्या है . पूरब में गडरिया समाज की कम जनसंख्या है | प्रदेश का कुछ राजनीती बूयोरा इस प्रकार है :-
सांसद
- राजाराम पाल--(लोकसभा सांसद)--कानपूर देहात—कांग्रेस
- प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल –(राज्यासभा सांसद)—आगरा –बी.एस.पी.
- श्रीमती सारिका सिंह बघेल –(लोकसभा सांसद)—हाथरस आर.एल.डी.
विधायक
- चौ. अयोध्या प्रशाद पाल (अयाह शाह, फतेहपुर) -–बी.एस.पी.
- श्रीमती पूजा पाल (इलाहाबाद पशिम)--बी.एस.पी.
- चौ. इन्दर पाल सिंह पाल (सिकंदरा)-–बी.एस.पी.
- श्री विजय बहादुर पाल (तिवर्रा ,कन्नौज ) एस.पी.ऍम.एल.सी.
- चौ. प्रताप सिंह बघेल (आगरा) -–बी.एस.पी.
- श्रीमती प्रभावती पाल (जौनपुर) -–बी.एस.पी.
राजनीती में धनगर समाज की काम हिस्से दरी होने के प्रमुख कारण इस प्रकार है :-
- बिरादरी के बच्चो(जो 18 साल या इससे अधिक साल के है) का वोटर id ना होने के कारण,
- बिरादरी की महिला का वोट न डालने जाना ,
- बिरादरी के लोगो को वोटर लिस्ट में नाम न होना,
- बिरादरी के लोगो का बिरादरी के लोगो को वोट न देने के कारण,
- बिरादरी के लोगो का वोट न देने के कारण
- किसी गैर बिरादरी के लोग को वोट देना ,
- किसी गैर बिरादरी के बहकावे में आना
- एक ही सीट से कई कई लोगो का खड़ा होना
- इलेक्शन के लिए सही आदमी को मैदान में न उतरने के कारण,
- पैसे की कमी होना,
- अपनों का साथ न देना,
- अपना प्रचार सही तरीके से न करना आदि .
यदि हम अपनी इन कारणों को सुधर लेते है तो सायद उत्तर प्रदेश में अपनी बिरादरी के लगभग 18 विधायक, 4 सांसद, 2 ऍम.एल.सी. , 2 राज्यसभा सांसद व 5 मेयर हो और ग्राम प्रधान , पार्षद , ग्राम पंचायत , जिला पंचायत सदस्य तो न जाने अनगिनत होंगे
आज हम सभी जानते है की भारत में राजनीती जातिवाद से होती है तो हम पीछे क्यों रहे ?
आज जिस भी बिरादरी का नेता है वो पहले अपने घर वालो, फिर रिश्तेदरो , फेर बिरादरी के लोगो के काम आता है जैसे उन्हें जॉब दिलाना , किसी रुके काम में आर्थिक मदद करना , ठेके दिलाना , बिरादरी के रजा महाराजो की मूर्ति लगवाना या किसी हॉस्पिटल , स्कूल , कॉलेज , पार्क आदि का नाम अपनी बिरादरी के नाम पर रखना आदि , जिस से उस जाति का तो नाम होता ही है और खुद उस जाति के लोगो का भी |
परन्तु हमारे समाज के नाम पर न तो कही पार्क , होस्टल , हॉस्पिटल, रोड और न ही समाज के राजाओ के नाम पर. यही कारण है की हमारे समाज के युवको को सही व्यावसाय नहीं मिल प् रहा है क्यों की उसकी सोर्स लगाने के लिए कोई अपनी बिरादरी का नेता ही नहीं है , अगर कोई नेता है भी तो वो अकेलेपन के डर से उस आदमी की सोर्स नहीं लगा पता . क्यों की बिरादरी के अकेले विधायक सांसद होने की वजह से उन्हें डर लगता है की और और नेता उनपर इल्जाम लगा कर उनका टिकेट वह से कटवा न दे |
पण्डित , राजपूत ,कुर्मी , जाट , गुजरो के कई विधायक सांसद है इस लिए उनकी पॉवर बढ़ी हुई है इसी कारण वो अपनी बिरादरी के लिए कुछ भी कर जाते है
आज अपने समाज की स्तिथि इतनी बगड़ गयी है की “वोट धनगर समाज के और नेता दूसरी समाज के “
परन्तु भाइयो अभी समय निकला नहीं है अपनी इन सभी गलतियों को सुधार लो तो बल्ले बल्ले हो जायगी फिर वोट भी अपने और नेता भी अपने , फेर हमे न किसी गैर के आगे सोर्स लगाने के लिए उसकी गुलामी और न उसके इंकार करने का डर नहीं रहेगा